श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह पर निकली गाजे-बाजे संग बारात
फतेहपुर(बिंदकी)सहयोग,सामंजस्य,संयम और अनुशासन के साथ परम्पराओं का सम्यक रूप से निर्वहन कर घर को तीर्थ बनाया जा सकता है।संवाद,पारस्परिक स्नेह और एकात्मता और प्रीति विवर्धन होता है।परिवार तथा समाज को तीर्थ बनाने के लिए हमे प्यार से रहना होगा उक्त बाते बिंदकी नगर के बैलाही बाजार मूला देवी पार्क मे चल रही श्रीमदभागवत कथा मे आचार्य गोस्वामी जी महाराज ने कही।षष्ठम दिवस कथा कहते हुए आचार्य ने रूक्मणि विवाह,रास पंचाध्यायी लिलाओ के प्रसंग सुनाये।उन्होंने बताया माता रुक्मणी ने भी समर्पण भाव से श्री कृष्ण को याद कर सर्वस्व मान कर विवाह निवेदन किया।जिसके बाद श्री कृष्ण ने लीला कर माता रुक्मणी से विवाह किया। इस अवसर पर धूमधाम से श्री कृष्ण की बरात निकाली गई। कृष्ण-रुक्मणी विवाह की झांकी सजाई गई।आयोजक श्रीबालाजी सेवा न्यास के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद्र मोना ओमर,अनूप गुप्ता,संजय गुप्ता,विमलेश ओमर,आलोक गौड़,अनूप अग्रवाल,रिंकू तिवारी,अंशुल गुप्ता,राघव ओमर,रामेश्वर दयालू गुप्ता,रामेश गुप्ता,शरद ओमर,आदर्श चौहान,नमित ओमर,पार्थ,महेंद्र,विकास आदि रहे।