बिन्दकी फतेहपुर
सोमवार की शाम को सब ठीक ठाक चल रहा और जैसे ही शाम के 7 बजा तो तेज हवा चलने लगी और पानी भी गिरने लगा पानी के साथ साथ ओले भी गिरने लगे जिससे किसान की पक्की पकाई धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई जिससे किसान के माथे पर चिंता की लकीर बन गई
सोमवार की देर रात को खजुहा विकासखंड क्षेत्र ग्राम बसंती खेड़ा दरियापुर कमरपुर सरकंडी घनवा खेड़ा दौलताबाद लाल का पुरवा खिदिरपुर जबरापुर गुलाबपुर सहित सैकड़ो गांव के किसानों की खेतों में तैयार खड़ी धान की फसल को देखकर किसान खुश दिखाई दे रहे थे, खाली हुए खेतों में कुछ किसानों ने बड़ी लागत खर्च करके आलू की फसल बोई थी , अच्छी आमदनी का सपना संजोए क्षेत्र के किसान धान की फसल को सही सलामत घर तक पहुंचाने की सोच रहे थे लेकिन अचानक रात को मौसम का मिजाज बिगड़ा और आंधी पानी ने किसानों के सपनों में पानी फेर दिया ।
करीब 40 एकड़ में धान की फसल तैयार थी लेकिन बीती रात आई आंधी और पानी व ओला से धान की फसल खेतों में गिर गई जो करीब 12 घण्टे तक खेत के पानी में भीगी रही , सुबह किसानों ने खेत का पानी निकाला लेकिन तब तक फसल को ग्रहण लग चुका था ,लाल का पुरवा के किसान राजन पटेल ने बताते हैं कि खेतों में धान गिर जाने से और पानी में कई घण्टे पड़े रहने से दाना कमजोर और हल्का हो जायेगा जिससे वजन और क्वालिटी में गिरावट आ जाने से बाजार में उम्मीदों वाला मूल्य नहीं मिल पाएगा ।
आलू की फसल को भी नुकसान
ग्राम पंचायत मडराव के एक मजरे बसन्ती खेड़ा के किसान मथुरा प्रसाद का कहना है कि करीब एक सप्ताह से किसानों ने आलू की फसल बोने का काम शुरू किया है खेत की मिट्टी को फसल के अनुकूल बनाने के लिए कई बार जुताई तथा लेबलिंग करनी पड़ती है उसके बाद मोटी मोटी मेड़ों के बीच में आलू के बीज दबाए जाते हैं लेकिन यदि मेड़ों के बीच में पानी का भराव हुआ तो आलू का बीज सड़ जाता है और मेहनत लागत दोनों बर्बाद हो जाती हैं।और बीती रात की बरसात से हुआ भी यही , हालांकि आलू की बुआई अभी कहीं कहीं हुई है इसलिए इस फसल को लेकर किसानों की संख्या बहुत कम है ।
केसीसी का बीमा भी राहत देने में रहता है विफल
मडराव निवासी किसान अनुज सिंह का कहना है कि 90 प्रतिशत किसानों का बैंकों में रबी और खरीफ दोनों फसलों का क्रेडिट कार्ड बना हुआ है प्रत्येक क्रेडिट कार्ड में फसलों का बीमा होता है, जिसकी प्रीमियम धनराशि बैंक के शाखा प्रबन्धक द्वारा निर्धारित समय पर आहरित कर ली जाती है फिर भी इन दैवीय आपदाओं से फसलों के नुकसान की भरपाई नहीं की जाती है । जो एक जांच का विषय है ।